कांग्रेस की आलाकमान और home work….

शालेय जीवन में कौन से विद्यार्थी अच्छे अंक ला पाते हैं? जाहिर है, जो home work बेहतर करते हैं।

परन्तु यह home work का मंत्र विद्यालयों तक ही सीमित नहीं रहता। आगे कॉरपोरेट जीवन में भी अपने गुरु समान वरिष्ठ से यही सीखा। किसी भी बैठक या व्यावसायिक मुलाक़ात की सफलता काफी हद तक इस तथ्य पर निर्भर करती है कि आपने अपने मुद्दों पर home work कितना सघन किया है। चाहे आप अपनी कंपनी के लिए कुछ क्रय कर रहे हैं या विक्रय, आपको अपनी स्थिति और सामने वाले पक्ष की स्थिति की जितनी सही समझ और जानकारी होगी, जितना आप उन परिस्थितियों का अपने पक्ष में उपयोग कर पाएंगे, उतना ही आपके बेहतर ‘डील’ करने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे ठीक उलट भी होता ही है। यदि आपका home work कमजोर है, यदि आपने सही जानकारियां नहीं जुटाई है तो अक्सर आपको मुंह की खानी पड़ती है।

कुछ ऐसा ही अभी दो दिनों पूर्व लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल के साथ हुआ। भाजपा सरकार द्वारा लोकसभा में पारित करने हेतु प्रस्तुत एक विधेयक में यह प्रावधान रखे गए हैं कि यदि कोई मंत्री / मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री किसी भी वजह से 30 दिनों से ज्यादा समय तक हवालात में रहता है तो उसे पद से त्यागपत्र देना पड़ेगा। यदि केजरीवाल जैसा कोई नेता इतनी नैतिकता भी नहीं दिखाता है, तब भी उसे पदमुक्त मान लिया जाएगा।

इस विधेयक के विरोध में अपनी बात रखते हुए के.सी. वेणुगोपाल द्वारा गृह मंत्री अमित शाह को निशाना बनाते हुए कहा गया कि जब आप गुजरात में मंत्री थे और गिरफ्तार हुए थे तब आपने कौनसा इस्तीफा दे दिया था? अमित शाह उस समय सदन में ही थे और उन्होंने तुरन्त उत्तर देते हुए तथ्यों को रखा कि उन्होंने गिरफ्तार होने से पूर्व, न सिर्फ त्यागपत्र दे दिया था बल्कि तब तक कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया जब तक न्यायालय ने उन्हें निर्दोष घोषित नहीं कर दिया। अर्थात, जमानत पर रिहा होने के दौरान भी उन्होंने कोई पद स्वीकार नहीं किया था! अमित शाह द्वारा यह भी रेखांकित किया गया कि न्यायालय ने यह भी माना कि उन्हें राजनीतिक बदले की भावना के चलते फंसाया गया था। कुछ ही क्षणों में अमित शाह द्वारा वेणुगोपाल को सिरे से गलत सिद्ध कर दिया गया।

अमित शाह द्वारा सदन के पटल पर उनकी गिरफ्तारी के सम्बंध में जो तथ्य रखे गए, वे तथ्य कोई ‘अत्यन्त गोपनीय’ श्रेणी के नहीं थे। बल्कि ये तथ्य सार्वजनिक क्षेत्र में सहज उपलब्ध हैं। ये घटनाएं मात्र 15 वर्षों पूर्व घटित हुई थी और हम में से अधिकांश उस समय वयस्क थे। वेणुगोपाल स्वयं उस समय संसद सदस्य थे। अपेक्षित तो यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय राजनीतिज्ञ को इस प्रकार के तथ्य जुबान पर होना चाहिए। और यदि आपकी स्मृति इतनी भी विश्वसनीय नहीं है, तब हर हाल में संसद में इस प्रकार का आरोप मढ़ने के पूर्व तथ्यों की पुष्टि तो अपेक्षित रहती ही है। किसी सामान्य संसद सदस्य से भी यह अपेक्षित रहता है, वेणुगोपाल तो एक अनुभवी और वरिष्ठ सांसद हैं। वे राहुल गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी और सलाहकार माने जाते हैं। कांग्रेस में जिसे आलाकमान कहा जाता है, वेणुगोपाल काफी समय से उसका हिस्सा बने हुए हैं। उनके जैसा वरिष्ठ व्यक्ति, देश के गृह मंत्री पर संसद में उनकी उपस्थिति के दौरान इतना निराधार आरोप लगाता है, यह बताता है कि कांग्रेस की आलाकमान home work को लेकर कितनी गैर जिम्मेदार है। यह घटना भले ही छोटी लगे परन्तु इसके निहितार्थ महत्वपूर्ण है। ऐसे सलाहकारों की सलाह पर बनाई गई रणनीतियों का क्या हश्र होता है, वह गत वर्षों में नजर आ ही रहा है।

अभी हाल में राहुल गांधी द्वारा एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर उन्हीं के शब्दों में ‘एटम बॉम’ के स्तर के खुलासे कर चुनाव आयोग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया। परन्तु फिर वही home work की कमी! एक एक कर उनके दावे खारिज होते जा रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव के दौरान मतदाता सूची में धांधली के उनके आरोप जिस संस्था के आंकड़ों पर आधारित थे, उस संस्था द्वारा ही सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना के साथ अपने आंकड़े त्रुटिपूर्ण होना घोषित कर दिया गया है। राहुल द्वारा कुछ नामजद मामलों का उल्लेख किया गया था। उनमें से भी अधिकांश लोग कैमरा पर आ कर आरोपों को नकार चुके हैं। बिहार में मतदाता सूची में से पुनरीक्षण के दौरान 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं। राहुल, तेजस्वी आदि सभी शोर मचा रहे हैं, परन्तु 22 दिनों में एक भी आधिकारिक आपत्ति चुनाव आयोग तक नहीं पहुंची है। चुनाव आयोग प्रेस में लगाए गए आरोपों के सम्बंध में हलफनामे पर आपत्ति दर्ज करने को कह रहा है, जो हो नहीं पा रहा है।

वेणुगोपाल जैसे सलाहकार और राहुल जैसे नेता सिवा झूठ के पुलिंदे के 11 वर्ष पुरानी सरकार का ठीक से तथ्य आधारित विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं, इनसे सफलतापूर्वक देश चलाने की उम्मीद क्या ही करें?

श्रीरंग वासुदेव पेंढारकर
23/08/2025

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