सादलपुर, मध्यप्रदेश…मध्यकालीन वास्तुकला का शानदार नमूना…

सादलपुर! 

निश्चित ही अधिकांश लोगों ने नाम भी नहीं सुना होगा। सादलपुर, मध्यप्रदेश के धार जिले में एक छोटा सा कस्बा है। इंदौर से घाटाबिल्लौद होते हुए रतलाम जाते समय कुछ 55 किमी पर मुख्य महू नीमच राजमार्ग पर सादलपुर एक छोटा सा कस्बा है। मुख्य मार्ग से बाईं ओर 1 किमी से भी कम दूरी पर भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है। 

सादलपुर का जल महल एक बेमिसाल इमारत है। लगभग 500 वर्ष पूर्व इसे मांडू के सुल्तान नसीरुद्दीन द्वारा बनवाया गया था। आख्यायिका के अनुसार इसका निर्माण मुगल सम्राट अक़बर के विश्राम के लिए कराया गया था। हालांकि यह विश्वसनीय तथ्य नहीं लगता है। अधिक सम्भव यह है कि यह महल सुलतान द्वारा ग्रीष्मकालीन आवास के रूप में बनवाया गया होगा, जहां कभी अक़बर की भी मेहमाननवाजी की गई होगी! 

यह जल महल, बागड़ी नदी के किनारे नदी से सट कर बनाया गया है। उत्तर की ओर प्रवाहित बागड़ी,  इस स्थान पर आ कर बमुश्किल कुछ मीटर पश्चिम की और बहती है और पुनः उत्तर की ओर बहने लगती है। इस मोड पर ही इस जल महल की निर्मिती की गई है। सबसे पहले तो इस स्थल का चयन ही कमाल का है। इस बेजोड़ स्थल के चयन के पश्चात शुरू होती है उतनी ही बेजोड़ वास्तु कल्पना! 

महल में दो छोरों पर कुछ कक्ष बने हुए हैं। एक छोर पर, ऐसा प्रतीत होता है, शयन कक्ष रहे होंगे। दूसरे छोर पर रसोईघर रहा होगा। इनके बीच में एक लंबा दालान है जिसमें बाईं ओर बागड़ी का प्रवाह है और दाईं ओर खुला मैदान है। इस मैदान का दालान से सटा हिस्सा निश्चित ही जल कुण्ड रहा होगा।

इस दालान में वास्तु कला का असली चमत्कार देखने को मिलता है। नदी के जल का पूरा लुत्फ उठाने के लिए, दालान की बाईं ओर से दाईं ओर जाने वाली कुछ लहरदार छोटी जलवाहिकाएं बनी हुई है। उस जमाने में जब भारत की नदियां वर्ष भर जल युक्त रहती थी, वर्षभर जल इन वाहिकाओं के माध्यम से बाईं से दाईं ओर प्रवाहित होता रहता होगा। उस सुन्दर दृश्य की सहज ही कल्पना की जा सकती है। आज भी अधिक वर्षा की स्थिति में जब इस नदी में बाढ़ की स्थिति बनती है, तब जल इन वाहिकाओं से प्रवाहित होने लगता है। कभी कभी पूरा दालान ही जल मग्न हो जाता है और जल दाईं ओर के मैदान में भरने लगता है। परन्तु, चूंकि बागड़ी बहुत बड़ी नदी नहीं है, यह जल स्तर दो ढाई फीट तक ही आ पाता है। शयन कक्ष वाली बाजू से दालान में उतरने की सीढ़ियां भी बनी है। निश्चय ही सुल्तान और उसका परिवार इस दालान का प्रयोग एक निजी तरण ताल की तरह करते रहे होंगे। जलवाहिकाओं के अतिरिक्त यह दालान अत्यंत दिलकश कमानियों से सज्जित है। पत्थर के स्तंभों और कमानियों की समरूप और समानुपातिक  पंक्तियां सम्मोहित कर देती है। 

सादलपुर का यह जलमहल कल्पकता, सृजनशीलता और भव्यता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां मांडू की सुपरिचित, भारतीय और अफ़गानी शैलियों के मिश्रण से बनी, अनोखी वास्तुकला देखने को मिलती है। इतिहास में सुल्तान नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व के जो उल्लेख मिलते हैं, उनकी पृष्ठभूमि में प्रबल संभावना है कि यह वास्तु अय्याशी और शोषण के लिए उपयोग में आती हो, परन्तु जिस किसी मेधावी वास्तुशिल्पी ने इसे सृजित किया होगा उसकी प्रतिभा का लोहा मानना पड़ता है। 

वर्षा ऋतु में इन्दौर से कुछ घंटों के प्रवास के दौरान इस जलमहल को जरूर देखने जाएं, आप भी इस जलमहल की कल्पकता पर मोहित हो जाएंगे। 

श्रीरंग वासुदेव पेंढारकर 

22/09/2025

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