Sreerang Pendharkar

राजगीर, बिहार!  बिहार में राजगीर, नालन्दा जिले का एक छोटा सा कस्बा है जिसकी जनसंख्या 1 लाख से भी कम है। अभी सप्ताह भर पूर्व तक मैने यह नाम भी नहीं सुना था। अभी वहां हॉकी का एशिया कप आयोजित किया जा रहा है और आज रविवार 7 सितम्बर को भारत और दक्षिण कोरिया के […]

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शिक्षक दिवस विशेष ….वे शिक्षक जिन्हें अध्यापन से प्रेम था …

पिताजी शिक्षक थे। गांव में वे सिद्धांतवादी शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे। इस छवि के पीछे उनके कुछ सिद्धान्त थे जिनका वे शिद्दत से पालन करते थे। वे अंग्रेजी पढ़ाते थे। अच्छे वक्ता थे, साहित्य प्रेमी थे। हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी तीनों भाषाओं में पुस्तके पढ़ते थें। एक प्रकार से भाषा पढ़ाने के लिए

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GST में बड़ी राहत…दीर्घ कालीन योजना का परिणाम

कल GST काउंसिल द्वारा GST के करों में बड़े बदलाव कर अधिकांश करों में उल्लेखनीय कमी की गई है। यह एक प्रभावी और आम जन हिताय कदम तो है ही, अपने आप में अत्यन्त साहसिक निर्णय भी है। सामान्य गृहपयोगी कईं वस्तुएं पहले से सस्ती होंगी और इसकी वजह से सहज ही सामान्य व्यक्ति को

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मिच्छामि दुक्कडम ….एक परिपक्व और अनोखी परम्परा..

मानवीय रिश्तों की उलझनों के मूल में “मैं ही सही हूं” के भाव की बहुत बड़ी भूमिका है। यह भाव कम ज्यादा अनुपात में प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद होता है। यह भाव हमारे अहं की सर्वाधिक सशक्त अभिव्यक्ति होती है। हमारा “सही” जब दूसरे के “सही” से विपरीत या भिन्न होता है, तब द्वेष, वैमनस्यता

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राक्षसभुवन की लड़ाई…और मराठों की निर्णायक विजय!

राक्षसभुवन की लड़ाई! राक्षसभुवन शब्द से यह भ्रम उत्पन्न हो सकता है कि बात किसी पौराणिक युग की लड़ाई की है। वस्तुत: राक्षसभुवन महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले में गोदावरी के किनारे पर बसा एक कस्बा है। वर्ष 1763 में 10 अगस्त को इसी स्थान पर एक निर्णायक लड़ाई में मराठों द्वारा निजाम

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सती – प्रथा या हिन्दुत्व को कलंकित करने का षडयंत्र?

प्रथा किसे कहेंगे? निश्चय ही कोई ऐसी रीति या गतिविधि जो समाज के बड़े हिस्से में लम्बे समय से घटित हो रही हो, उसे ही हम प्रथा कह सकते हैं। उदाहरण के लिए भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष में पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक प्रथा है। क्योंकि सदियों से समाज का अधिकांश हिस्सा इस रीति

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कांग्रेस की आलाकमान और home work….

शालेय जीवन में कौन से विद्यार्थी अच्छे अंक ला पाते हैं? जाहिर है, जो home work बेहतर करते हैं। परन्तु यह home work का मंत्र विद्यालयों तक ही सीमित नहीं रहता। आगे कॉरपोरेट जीवन में भी अपने गुरु समान वरिष्ठ से यही सीखा। किसी भी बैठक या व्यावसायिक मुलाक़ात की सफलता काफी हद तक इस

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क्या सांसदों के अमर्यादित आचरण के लिए नियम बनाने होंगे..?

नियम, चोरों, बेईमानों और अपराधियों की वजह से बनते हैं। यदि समाज में प्रत्येक व्यक्ति स्वभाव से परोपकारी, आचरण से नैतिक, व्यवहार से सात्विक और हृदय से सच्चा हो तब सम्भवतः न संविधान की आवश्यकता होगी न दण्ड संहिता की, न न्याय प्रणाली की और न ही पुलिस इत्यादि की! परन्तु ऐसी स्थिति एक दिवास्वप्न

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गैर जिम्मेदार विपक्ष…?

एक बार गलती होती है और दूसरी बार मूर्खता। परन्तु जब बार बार कुछ अनुचित किया जाता है, तो उसके पीछे बदनीयत, गहरी योजना और घातक इरादे होते हैं। भारतीय विपक्ष, खास तौर पर राहुल जैसे नेता विगत कुछ वर्षों से लगातार जो राजनीति कर रहे हैं उसके पीछे बदनीयत और घातक योजना साफ नजर

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बाजीराव प्रथम…अजेय योद्धा और दूरदर्शी राजनेता.

आज 18 अगस्त के ही दिन सन 1748 में महाराष्ट्र के सिन्नर के नजदीक डुबेर गांव में भारत के महानतम सेनापति बाजीराव प्रथम का जन्म हुआ था। बाजीराव असाधारण रणनीतिज्ञ थे और अपने रणकौशल के बल पर संख्या में अपने से कहीं विशाल और बेहतर शस्त्रों से सज्जित शत्रु सेनाओं पर भी विजय प्राप्त कर

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