कृष्ण की दृष्टि: धर्म नहीं, विजय का युद्ध

कृष्ण जन्माष्टमी की सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णवतार माना गया है। व्यावहारिक लोक में उन्हे मनुष्य के श्रेष्ठतम स्वरूप के रूप में देखा जाता है। किशोरावस्था में वे रास लीला में रत हो सकते हैं तो कालिया वध भी कर सकते हैं, अपनी बांसुरी से समूचे गोकुल को मंत्रमुग्ध कर सकते […]

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ट्रंप को भारत के सस्ता कच्चा तेल क्रय करने पर आपत्ति?

भारत में आम राय थी कि ट्रंप सत्ता में आने पर अमेरिका का भारत की ओर रुख सकारात्मक रहेगा। इस सोच का आधार ट्रंप का पिछला कार्यकाल था। यह भी सभी को ज्ञात था कि ट्रंप और मोदी जी की अच्छी मित्रता है और यह कि इसका भी लाभ द्विपक्षीय व्यापार आदि में प्राप्त होगा।

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SIR प्रक्रिया से बिहार सहित पूरे विपक्ष में हड़कंप क्यों मचा है?

2019 में जब मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्तासीन हुई थी, तब NDTV पर नतीजों पर चर्चा के दौरान अत्यन्त हताश योगेन्द्र यादव ने कहा था कि वे मतदाताओं का गिरेबान पकड़ कर कहना चाहते हैं “बेवकूफों…” (तुमने ये क्या किया है?).  योगेन्द्र यादव की कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है,

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हिंगलाजगढ़, परमारों और होलकरों के इतिहास का एक गुमनाम पन्ना..

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानगढ़ तहसील में एक प्राचीन किला है, जिसे हिंगलाजगढ़ कहा जाता है। किले का इतिहास गुप्तकाल तक जाता है। परमार राजवंश द्वारा बारहवीं सदी में इस किले को इसका वर्तमान स्वरूप दिया गया। परन्तु आगे चल कर मुस्लिम आक्रमणों के दौरान यह किला ध्वस्त हो गया। आगे, इस पर हाड़ाओं

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1739: जब मराठों ने पुर्तगालियों को भारत से खदेड़ा

वसाई का युद्ध – भारत का छुपाया गया इतिहास वास्को डी गामा के 1498 में कालीकट, केरल पहुंचने के बाद पुर्तगालियों का भारत आना जाना बढ़ गया। व्यापार से शुरू कर शीघ्र ही पुर्तगालियों ने भारत की जमीन पर अपने पांव बढ़ाने प्रारंभ कर दिए। आगे चलकर गोवा और महाराष्ट्र के समुद्री किनारे से सटा

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श्रीराम: जिन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति को भी अपनाया

हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि तेहतीस करोड़ देवी देवता हैं। केंद्र में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तो हैं ही। फिर विष्णुजी के भी दशावतार हैं। लेकिन इन सब के बावजूद हिन्दू मानस में भगवान श्रीराम का एक विशेष स्थान है। उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक, हजारों वर्षों से श्रीराम

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पावनखिंड: बाजीप्रभु देशपांडे और मराठों की अमर गाथा

बाजीप्रभु देशपांडे और घोड़खिंड की लड़ाई! अधिकांश लोगों ने संभवतः यह नाम ही नहीं सुना होगा! कक्षा दसवीं तक पढ़ाए जाने वाले इतिहास में इस लड़ाई को स्थान नहीं दिया गया है। परन्तु, 350 वर्षों से भी पूर्व लड़ी गई इस लड़ाई ने एक तरह से भारत का भविष्य बदल कर रख दिया। फिर भी

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होलोकास्ट, सावरकर और भारत का सांस्कृतिक संघर्ष

द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व और दौरान हिटलर की नाज़ी टुकड़ियों द्वारा यहूदियों पर जो अमानवीय और अविश्वसनीय अत्याचार किए गए वे इतिहास में दर्ज हैं ही और अभी अभी तक यत्न शिविर से जीवित बच निकले “भाग्यशाली” अपने अनुभव सुनाने के लिए उपलब्ध भी थे। यहूदियों के संबंध में हिटलर के “अन्तिम उपाय” (final solution)

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 बाजीराव भोजन और युद्ध का जीवन

28 अप्रैल, बाजीराव (प्रथम) की पुण्यतिथि! 1740 में 28 अप्रैल के ही दिन, भारत मां के इस विलक्षण सपूत का मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में मां नर्मदा के तट स्थित एक छोटे से गांव रावेरखेड़ी में निधन हुआ था। उम्र थी मात्र 40 वर्ष। बाजीराव 20 वर्ष की उम्र में ही मराठा साम्राज्य के पेशवा

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चिमाजी अप्पा… एक गुमनाम योद्धा

इतिहास कुछ लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता है और उन्हें जन मानस में वह स्थान नहीं दिलवा पाता जिसके वे अधिकारी होते हैं। ऐसे ही एक विराट व्यक्तित्व थे चिमाजी अप्पा! चिमाजी महान पेशवा बाजीराव के छोटे भाई थे। बाजीराव के तेजस्वी व्यक्तित्व के साए में चिमाजी का कुशाग्र किन्तु सौम्य व्यक्तित्व छुप सा

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