Cultural

शिक्षक दिवस विशेष ….वे शिक्षक जिन्हें अध्यापन से प्रेम था …

पिताजी शिक्षक थे। गांव में वे सिद्धांतवादी शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे। इस छवि के पीछे उनके कुछ सिद्धान्त थे जिनका वे शिद्दत से पालन करते थे। वे अंग्रेजी पढ़ाते थे। अच्छे वक्ता थे, साहित्य प्रेमी थे। हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी तीनों भाषाओं में पुस्तके पढ़ते थें। एक प्रकार से भाषा पढ़ाने के लिए […]

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मिच्छामि दुक्कडम ….एक परिपक्व और अनोखी परम्परा..

मानवीय रिश्तों की उलझनों के मूल में “मैं ही सही हूं” के भाव की बहुत बड़ी भूमिका है। यह भाव कम ज्यादा अनुपात में प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद होता है। यह भाव हमारे अहं की सर्वाधिक सशक्त अभिव्यक्ति होती है। हमारा “सही” जब दूसरे के “सही” से विपरीत या भिन्न होता है, तब द्वेष, वैमनस्यता

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