History

राक्षसभुवन की लड़ाई…और मराठों की निर्णायक विजय!

राक्षसभुवन की लड़ाई! राक्षसभुवन शब्द से यह भ्रम उत्पन्न हो सकता है कि बात किसी पौराणिक युग की लड़ाई की है। वस्तुत: राक्षसभुवन महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले में गोदावरी के किनारे पर बसा एक कस्बा है। वर्ष 1763 में 10 अगस्त को इसी स्थान पर एक निर्णायक लड़ाई में मराठों द्वारा निजाम […]

राक्षसभुवन की लड़ाई…और मराठों की निर्णायक विजय! Read More »

बाजीराव प्रथम…अजेय योद्धा और दूरदर्शी राजनेता.

आज 18 अगस्त के ही दिन सन 1748 में महाराष्ट्र के सिन्नर के नजदीक डुबेर गांव में भारत के महानतम सेनापति बाजीराव प्रथम का जन्म हुआ था। बाजीराव असाधारण रणनीतिज्ञ थे और अपने रणकौशल के बल पर संख्या में अपने से कहीं विशाल और बेहतर शस्त्रों से सज्जित शत्रु सेनाओं पर भी विजय प्राप्त कर

बाजीराव प्रथम…अजेय योद्धा और दूरदर्शी राजनेता. Read More »

हिंगलाजगढ़, परमारों और होलकरों के इतिहास का एक गुमनाम पन्ना..

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानगढ़ तहसील में एक प्राचीन किला है, जिसे हिंगलाजगढ़ कहा जाता है। किले का इतिहास गुप्तकाल तक जाता है। परमार राजवंश द्वारा बारहवीं सदी में इस किले को इसका वर्तमान स्वरूप दिया गया। परन्तु आगे चल कर मुस्लिम आक्रमणों के दौरान यह किला ध्वस्त हो गया। आगे, इस पर हाड़ाओं

हिंगलाजगढ़, परमारों और होलकरों के इतिहास का एक गुमनाम पन्ना.. Read More »

होलोकास्ट, सावरकर और भारत का सांस्कृतिक संघर्ष

द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व और दौरान हिटलर की नाज़ी टुकड़ियों द्वारा यहूदियों पर जो अमानवीय और अविश्वसनीय अत्याचार किए गए वे इतिहास में दर्ज हैं ही और अभी अभी तक यत्न शिविर से जीवित बच निकले “भाग्यशाली” अपने अनुभव सुनाने के लिए उपलब्ध भी थे। यहूदियों के संबंध में हिटलर के “अन्तिम उपाय” (final solution)

होलोकास्ट, सावरकर और भारत का सांस्कृतिक संघर्ष Read More »

चिमाजी अप्पा… एक गुमनाम योद्धा

इतिहास कुछ लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता है और उन्हें जन मानस में वह स्थान नहीं दिलवा पाता जिसके वे अधिकारी होते हैं। ऐसे ही एक विराट व्यक्तित्व थे चिमाजी अप्पा! चिमाजी महान पेशवा बाजीराव के छोटे भाई थे। बाजीराव के तेजस्वी व्यक्तित्व के साए में चिमाजी का कुशाग्र किन्तु सौम्य व्यक्तित्व छुप सा

चिमाजी अप्पा… एक गुमनाम योद्धा Read More »