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कांग्रेस की आलाकमान और home work….

शालेय जीवन में कौन से विद्यार्थी अच्छे अंक ला पाते हैं? जाहिर है, जो home work बेहतर करते हैं। परन्तु यह home work का मंत्र विद्यालयों तक ही सीमित नहीं रहता। आगे कॉरपोरेट जीवन में भी अपने गुरु समान वरिष्ठ से यही सीखा। किसी भी बैठक या व्यावसायिक मुलाक़ात की सफलता काफी हद तक इस […]

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गैर जिम्मेदार विपक्ष…?

एक बार गलती होती है और दूसरी बार मूर्खता। परन्तु जब बार बार कुछ अनुचित किया जाता है, तो उसके पीछे बदनीयत, गहरी योजना और घातक इरादे होते हैं। भारतीय विपक्ष, खास तौर पर राहुल जैसे नेता विगत कुछ वर्षों से लगातार जो राजनीति कर रहे हैं उसके पीछे बदनीयत और घातक योजना साफ नजर

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कृष्ण की दृष्टि: धर्म नहीं, विजय का युद्ध

कृष्ण जन्माष्टमी की सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णवतार माना गया है। व्यावहारिक लोक में उन्हे मनुष्य के श्रेष्ठतम स्वरूप के रूप में देखा जाता है। किशोरावस्था में वे रास लीला में रत हो सकते हैं तो कालिया वध भी कर सकते हैं, अपनी बांसुरी से समूचे गोकुल को मंत्रमुग्ध कर सकते

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1739: जब मराठों ने पुर्तगालियों को भारत से खदेड़ा

वसाई का युद्ध – भारत का छुपाया गया इतिहास वास्को डी गामा के 1498 में कालीकट, केरल पहुंचने के बाद पुर्तगालियों का भारत आना जाना बढ़ गया। व्यापार से शुरू कर शीघ्र ही पुर्तगालियों ने भारत की जमीन पर अपने पांव बढ़ाने प्रारंभ कर दिए। आगे चलकर गोवा और महाराष्ट्र के समुद्री किनारे से सटा

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श्रीराम: जिन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति को भी अपनाया

हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि तेहतीस करोड़ देवी देवता हैं। केंद्र में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तो हैं ही। फिर विष्णुजी के भी दशावतार हैं। लेकिन इन सब के बावजूद हिन्दू मानस में भगवान श्रीराम का एक विशेष स्थान है। उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक, हजारों वर्षों से श्रीराम

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पावनखिंड: बाजीप्रभु देशपांडे और मराठों की अमर गाथा

बाजीप्रभु देशपांडे और घोड़खिंड की लड़ाई! अधिकांश लोगों ने संभवतः यह नाम ही नहीं सुना होगा! कक्षा दसवीं तक पढ़ाए जाने वाले इतिहास में इस लड़ाई को स्थान नहीं दिया गया है। परन्तु, 350 वर्षों से भी पूर्व लड़ी गई इस लड़ाई ने एक तरह से भारत का भविष्य बदल कर रख दिया। फिर भी

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 बाजीराव भोजन और युद्ध का जीवन

28 अप्रैल, बाजीराव (प्रथम) की पुण्यतिथि! 1740 में 28 अप्रैल के ही दिन, भारत मां के इस विलक्षण सपूत का मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में मां नर्मदा के तट स्थित एक छोटे से गांव रावेरखेड़ी में निधन हुआ था। उम्र थी मात्र 40 वर्ष। बाजीराव 20 वर्ष की उम्र में ही मराठा साम्राज्य के पेशवा

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